Piaget cognitive development theory के प्रवर्तक –  जीन पियाजे ,स्विट्जरलैंड 

Piaget cognitive development theory : संज्ञानात्मक पक्ष का क्रमबद्ध व्यापक और स्थाई ज्ञान है जिससे वह वातावरण/ उद्दीपक जगत/  बाह्य जगत के माध्यम से ग्रहण करता है। समस्या समाधान, समप्रत्ययीकरर्ण ( विचारों का निर्माण), प्रत्येकक्षण( देखकर सीखना) आदि मानसिक क्रियाएं सम्मिलित होती है

जीन पियाजे एक स्विस मनोवैज्ञानिक थे। इनका जन्म 1886 ईसवी को स्विजरलैंड में हुआ था। आधुनिक युग में ज्ञानात्मक विकास के क्षेत्र मैं स्विजरलैंड के मनोवैज्ञानिक जिन पियाजे ने क्रांति पैदा कर दी।आज तक ज्ञानात्मक विकास के क्षेत्र में शोध एवं अध्ययन किए गए। उनमे सबसे विस्तृत और वैज्ञानिक रूप से आदान जीन पियाजे जी ने किया।

  • मानसिक संक्रिया : बालक द्वारा किसी समस्या के समाधान पर चिंतन करना मानसिक संक्रिया करना जाता है।
  • स्कीम्स – व्यवहारों में संगठित पैटर्न में को जिसे आसानी से दोहराया जा सके।जैसे कार चलाने की के लिए कार्य स्टार्ट करना गियर लगाना स्पीड देना आदि।
  • स्कीमा – स्कीमा से तात्पर्य से मानसिक संरचना से है जिसका सामान्य करण किया जा सके।
  • विकेंद्रीकरण – किसी भी वस्तु या चीज के बारे में वस्तुनिष्ट या वास्तविक ढंग से सोचने की क्षमता विकेंद्रीकरण कहलाती है।प्रारंभ में बालक ऐसा नहीं सोचता परंतु 2 साल का होते होते हो वस्तु के बारे में वास्तविक ढंग से सोचने लगता है।
  • आत्म सात्करण – आत्मसात करण से अभिप्राय है कि वह बालक अपनी समस्या का समाधान करने के लिए हथवा वातावरण के साथ सामान्य स्थापित करने हेतु पूर्व में सीटी गए क्रियाओं का सहारा लेता है।
  • समायोजन – समायोजन के अंतर्गत पूर्व में सीखी गई क्रियाएं काम में नहीं आती।बल्कि इसमें बालक अपनी योजना और व्यवहार में परिवर्तन लाकर वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश करता है।
  • साम्य धारण – इस प्रकार का प्रत्यय अनुकूलन से मिलता जुलता हैं। साम्य धारण में बालक आत्मसात करण व समायोजन के बीच संतुलन स्थापित करता है।साम्य धारण प्रत्यय में बालक आत्म सात्करण वह समायोजन दोनों का प्रयोग करता है।
  • संरक्षण – संरक्षण से अभिप्राय वातावरण में परिवर्तन तथा स्थिरता को पहचानने व समझने की क्षमता से है।किसी वस्तु के रूप रंग में परिवर्तन को उस वस्तु के तत्व में परिवर्तन से अलग करने की क्षमता से।
  • संज्ञानात्मक संरचना – किसी भी बालक का मानसिक संगठन या मानसिक क्षमताओं के सेट को संज्ञानात्मक संरचना कहते हैं।
  • अनुकूलन – पियाजे के अनुसार बालकों में वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करने की जन्मजात प्रवृत्ति को आंदोलन कहते हैं। अनुकूलन की उपक्रियाये हैं।
Piaget cognitive development theory
Piaget cognitive development theory

जीन पियाजे ने संज्ञानात्मक विकास को चार अवस्थाओं में विभाजित किया है-

  1. संवेदिक पेशीय अवस्था (Sensory Motor) : जन्म के 2 वर्ष
  2. पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था (Pre-operational) : 2-7 वर्ष
  3. मूर्त संक्रियात्मक अवस्था (Concrete Operational) : 7 से12 वर्ष
  4. अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था (Formal Operational) : 12से 15 वर्ष

1. संवेदी पेशीय अवस्था  ( जन्म के 2 वर्ष )

1- सहज क्रियाओं की अवस्था (जन्म से 30 दिन तक)
2- प्रमुख वृत्तीय अनुक्रियाओं की अवस्था ( 1 माह से 3माह)
3- गौण वृत्तीय अनुक्रियाओं की अवस्था ( 4 माह से 6 माह)
4- गौण स्किमेटा की समन्वय की अवस्था ( 7 माह से 10 माह )
5- तृतीय वृत्तीय अनुक्रियाओं की अवस्था ( 11 माह से 18 माह )
6- मानसिक सहयोग द्वारा नये साधनों की खोज की अवस्था ( 18 माह से 24 माह )
  • जन्म के समय शिशु वाह जगत के प्रति अनभिज्ञ होता है धीरे-धीरे व आयु के साथ साथ अपनी संवेदनाएं वह शारीरिक क्रियाओं के माध्यम से बाय जगत का ज्ञान ग्रहण करता है
  • वह वस्तुओं को देखकर सुनकर स्पर्श करके गंध के द्वारा तथा स्वाद के माध्यम से ज्ञान ग्रहण करता है
  • छोटे छोटे शब्दों को  बोलने लगता है
  • परिचितों का मुस्कान के साथ स्वागत करता है तथा आप परिचितों को देख कर भय का प्रदर्शन करता है

2. पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था

(क) पूर्व सम्प्रत्यात्मक काल (Pre–conceptional या Symbolic function substage ; 2-4 वर्ष) : पूर्व-प्रत्यात्मक काल लगभग 2 वर्ष से 4 वर्ष तक चलता है। बालक संकेत तथा चिह्न को मस्तिष्क में ग्रहण करते हैं। बालक निर्जीव वस्तुओं को सजीव समझते हैं।आत्मकेंद्रित हो जाता है बालक।

संकेतों एवं भाषा का विकास तेज होने लगता है। इस स्तर का बच्चा सूचकता विकसित कर लेता है अर्थात किसी भी चीज के लिए प्रतिभा, शब्द आदि का प्रयोग कर लेता है। छोटा बच्चा माँ की प्रतिमा रखता है। बालक विभिन्न घटनाओं और कार्यो के संबंध में क्यों और कैसे जानने में रूचि रखते हैं। इस अवस्था में भाषा विकास का विशेष महत्व होता है। दो वर्ष का बालक एक या दो शब्दों के वाक्य बोल लेता है जबकि तीन वर्ष का बालक आठ-दस शब्दों के वाक्य बोल लेता है।

(ख) अंतःप्रज्ञक काल (Intuitive thought substage ; 4-7 वर्ष) : बालक छोटी छोटी गणनाओं जैसे जोड़-घटाना आदि सीख लेता है। संख्या प्रयोग करने लगता है। इसमें क्रमबद्ध तर्क नही होता है।

  • Piaget cognitive development theory की इस अवस्था में दूसरे के संपर्क में खिलौनों से अनुकरण के माध्यम से सीखता है
  • खिलौनों की आयु इसी अवस्था को कहा जाता है
  • शिशु, गिनती गिनना रंगों को पहचानना वस्तुओं को क्रम से रखना हल्के भारी का ज्ञान होना
  • माता पिता की आज्ञा मानना, पूछने पर नाम बताना घर के छोटे छोटे कार्यों में मदद करना आदि सीख जाता है लेकिन वह तर्क वितर्क करने योग्य नहीं होता इसीलिए इसे आतार्किक चिंतन की अवस्था के नाम से भी जाना जाता है
  • वस्तु स्थायित्व का भाव जागृत हो जाता है
  • निर्जीव वस्तुओं में संजीव चिंतन करने लगता है इसे  जीव वाद कहते हैं
  • प्रतीकात्मक सोच पाई जाती है
  • अनुकरण शीलता पाई जाती है
  • शिशु अहम वादी होता है तथा दूसरों को कम महत्व देता है

3. मूर्त संक्रिया त्मक अवस्था

  • Piaget cognitive development theory की इस अवस्था में तार्किक चिंतन प्रारंभ हो जाता है लेकिन बालक का चिंतन केवल मुहूर्त प्रत्यक्ष वस्तुओं तक ही सीमित रहता है
  • वह अपने सामने उपस्थित दो वस्तुओं के बीच तुलना करना,  अंतर करना, समानता व असमानता बतलाना, सही गलत व उचित अनुचित में विविध करना आदि सीख जाता है
  • इसीलिए इसे मूर्त चिंतन की अवस्था के नाम से भी जाना जाता है
  • बालक दिन, तारीख, समय, महीना, वर्ष आदि बताने योग्य हो जाता है
  • उत्क्रमणीय शीलता पाई जाती है इसीलिए इसे पलावटी  अवस्था के नाम से भी जाना जाता है
  • भाषा एवं संप्रेषण योग्यता का विकास की अवस्था में हो जाता है

4. औपचारिक या अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था

  • Piaget cognitive development theory कि इस अवस्था में किशोर मूर्ति के साथ साथ अमूर्त चिंतन करने योग्य भी हो जाता है
  • इसीलिए इसे तार्किक चिंतन की अवस्था के नाम से भी जाना जाता है
  • Piaget cognitive development theory की अवस्था में मानसिक योग्यताओं का पूर्ण विकास हो जाता है
  • Piaget cognitive development theoryइस अवस्था में परीकल्पनात्मक चिंतन पाया जाता है

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Piaget cognitive development theory MCQ

1. पियाजे के अनुसार, विकास को प्रभावित करने में निम्नलिखित कारकों में से कौन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है?

  1. पुनर्बलन
  2. भाषा
  3. भौतिक दुनिया (समाज) के साथ अनुभव
  4. अनुकरण

ans (  3 )

2.पियाजे के विकास के ____ चरण के दौरान वस्तु स्थायित्व की अवधारणा प्राप्त करती है।

  1. पूर्व-संक्रियात्मक
  2. मूर्त संक्रियात्मक
  3. अमूर्त संक्रियात्मक
  4. संवेदीप्रेरक

ans ( 1 )

3._______ के विचार से बच्चे सक्रिय ज्ञान-निर्माता तथा नन्हें वैज्ञानिक हैं, जो संसार के बारे में अपने सिद्धान्तों की रचना करते हैं।

  1. पैवलॉव
  2. युंग
  3. पियाजे
  4. स्किनर

ans (3)

4. संज्ञानात्मक विकास एक प्रक्रिया है जो जैविक परिपक्‍वता और पर्यावरण के साथ साक्षात्कार से होती है। यह सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया था?

  1. वायगोत्स्की
  2. इवान पावलोव
  3. बी.एफ. स्किनर
  4. जीन पियाजे

ans (4)

5. जन्म से किशोरावस्था तक बच्चों में विकास किस क्रम में होता है?

  1. अमूर्त, सांवेद‍क, मूर्त,
  2. मूर्त, अमूर्त, सांवेद‍क
  3. अमूर्त, मू्त, सांवेद‍क
  4. सांवेद‍क, मूर्त, अमूर्त

ans (4 )

6 स्कीमा का मतलब होता है? 

  1. खंडन क्रियाविधि
  2. अधिगम विधि
  3. लम्बे समय के याददाश्त में सूचना के संगठित पैकेट्स का एकत्रित होना
  4. शारीरिक प्रतिवाद क्रियाविधि

ans (3 )

7 ______ की अवस्था तक बच्चे की दृश्य और श्रवण इंद्रिया पूर्णतः विकसित हो जाती है। 

  1. 3 या 4 वर्ष
  2. 6 या 7 वर्ष
  3. 8 या 9 वर्ष
  4. इनमें से कोई नहीं

ans (3)

8. पूर्व संक्रियात्मक अवस्था में आने वाली संज्ञानात्मक क्षमता है:

  1. लक्ष्य निर्देशित व्यवहार की क्षमता
  2. दूसरे का दृष्टिकोण समझने की क्षमता
  3. परिकल्पित-निगमनात्यक सोच
  4. अमूर्त चिंतन के लिए योग्यता

ans ( 1 )

9. निम्नलिखित व्यवहारों में से कौन-सा जीन पियाजे द्वारा प्रस्तावित ‘मूर्त संक्रियात्मक अवस्था’ को विशेषित करता है?

  1. परिकल्पित-निगमनात्मक तर्क; साध्यात्मक विचार
  2. संरक्षण; कक्षा समावेशन
  3. आस्थगित अनुकरण; पदार्थ स्थायित्व
  4. प्रतीकात्मक खेल; विचारों की अनुत्क्रमणीयता

ans (2)

10 निर्मितीवाद का सिद्धांत ________ के द्वारा प्रतिपादित किया गया था।

  1. चोमस्की
  2. वाइगोत्स्की
  3. पियाजे
  4. टेर्मन

ans (3)

 

1 thought on “Piaget cognitive development theory in hindi 2022”

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